
Kora Kagad....Nili Shai | कोरा कागद... निळी शाई...
‘उम्मीद भी है
घबराहट भी है
कि अब लोग क्या कहेंगे,
और
इससे ब़डा डर यह है
कहीं ऐसा ना हो
कि लोग कुछ भी न कहें’ -
गुलजार
या भावनेनंच हा कवितासंग्रह वाचकांसाठी - '
ISBN: :978-81-7434-395-6
- बाईंडिंग : कार्ड बाईंडिंग
- आकार : ५.५" X ८.५"
- पहिली आवृत्ती : सप्टेंबर २००७
- सद्य आवृत्ती : एप्रिल २०१२
- मुखपृष्ठ : सतीश देशपांडे
- राजहंस क्रमांक : I-04-2007