कोरा कागद... निळी शाई...| Kora Kagad....Nili Shai
'‘उम्मीद भी है घबराहट भी है कि अब लोग क्या कहेंगे, और इससे ब़डा डर यह है कहीं ऐसा ना हो कि लोग कुछ भी न कहें’ - गुलजार या भावनेनंच हा कवितासंग्रह वाचकांसाठी - '
'Pages: 94
Weight:115
ISBN:978-81-7434-395-6
Binding:कार्ड बाईंडिंग
Size:5.5 X 8.5
सद्य आवृत्ती:एप्रिल 2012
पहिली आवृत्ती:सप्टेंबर 2007
Illustrator:सतीश देशपांडे'